जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है ,इस दौरान उसके द्वारा की जाने वाली हर गतिविधियां माता-पिता व घर के सदस्यों को आनंदित करती है। जन्म के बाद बच्चे में हर महीने में कुछ ना कुछ शारीरिक व मानसिक विकास होता है। उसके चलते बच्चे में बहुत से बदलाव आते हैं। यह बदलाव हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं जैसे बच्चे का देखना ,सुनना, तुम्हारे देखने पर उसका मुस्कुराना। तो चलिए आज हम thefamilylife.info के इस पोस्ट में इन सभी बातों को जानने के लिए ,4 महीने में होने वाले बच्चे की गतिविधियों के बारे में जानते हैं
चार महीने के बच्चे की गतिविधियां व विकास
4 महीने के बच्चे का वजन और हाइट कितनी होनी चाहिए?
सभी बच्चों का शारीरिक विकास अलग-अलग होता है। इसलिए, आपके बच्चे का वजन व कद कम-ज्यादा हो सकता है।
बच्चा | वजन | हाइट |
लड़का | 5.7 किलो से लेकर 7.6 किलो | 63.9 सेंटीमीटर |
लड़की | 5.2 किलोग्राम से लेकर 6.9 किलो | 62.1 सेंटीमीटर |
4 महीने के बच्चे का देखना व सुनना

4 महीने के बच्चे में देखने व सुनने का विकास शुरू हो जाता है। बच्चा आपकी आवाज पर आपकी और देखने लगता है । अपनी मां की आवाज को पहचाने लगता है। खिलौनों की आवाज पर वह अपने हाथ पैरों को जोर-जोर से हिलाता है। अगर इनमें से कोई भी क्रिया बच्चा नहीं कर रहा है तो आप डॉक्टर को तुरंत दिखाएं।
चेहरे के हाव-भाव को समझना

इस टाइम बच्चा कुछ कुछ बड़ों के हाव-भाव को समझने लगता है। बच्चा हमारी मुस्कुराते हुए चेहरे को देखकर मुस्कुराता है । जोर से चिल्लाने पर बच्चा डर जाता है वह अपनी मां को पहचानने लगता है मां के दूर जाने पर रोने लगता है।
4 महीने के बच्चे का शारीरिक विकास

चार महीने के बच्चे में हम बहुत से शारीरिक विकास देख सकते हैं। जब बच्चा 4 महीने का होता है तब वह अपने सिर को बिना सहारे सीधा रख सकता है । बुलाने पर गर्दन को घुमाता है इससे पता चलता है कि बच्चे के गर्दन की मांसपेशियां मजबूत हो चुकी है । 4 महीने का बच्चा खिलोनौ को पकड़ने की कोशिश करता है। इस समय बच्चा अपने हाथों को अपने मुंह तक ले जा सकता है। 4 महीने का बच्चा पलटना सीख जाता है उसे सीधा लेटाने पर वह पलटी मार जाता है।
बात करने का प्रयास करना

4 महीने का बच्चा थोड़ा-थोड़ा बोलने की तरह अपना मुंह बनाता है जब बच्चे से बातें करते हैं तो वह हुंकारें निकालता है ,बोलने की कोशिश करता है । ऐसा लगता है जैसे मानो अभी सब कुछ बोलने वाला है। साथ में अपने चेहरे से वह भावनाओं को प्रदर्शित करता है।
4 महीने के बच्चे का खुशी व दुख को समझना

इतने छोटे बच्चे खुशी और दुख को अधिक नहीं समझ पाते लेकिन उनके सामने अपना हंसता हुआ चेहरा लेकर जाते हैं तो वह खुशी महसूस करते हैं और खिलखिलाते है। इसी प्रकार अगर आप मायूस हो तो बच्चा भी इसी तरह रिएक्ट करेगा इससे पता चलता है कि बच्चा कुछ हद तक खुशी और दुख में फर्क करना सीख गया है। 4 महीने का बच्चा खुशी और दुख काफी हद तक समझने लगता है। खुश होने पर बच्चा खिलखिलाता है वही दर्द और दुख को वह रोककर व्यक्त करता है।
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अंगूठा मुंह में लेना

3 महीने का बच्चा धीरे-धीरे अपने हाथों को मुंह तक ले जाना सीख जाता है। वह हाथों से खेलता है यह सोचकर हम उसके हाथों को मुंह से दूर नहीं करते। इसी के चलते वह 15 से 20 दिन में धीरे-धीरे मुंह में अंगूठा लेना सीख जाता है और यह बच्चे की आदत बन जाती है इसलिए इस टाइम ध्यान रखना चाहिए जब भी बच्चा अपने हाथों को मुंह तक ले जाए तब उसके हाथों को दूर करना चाहिए ताकि उसमें अंगूठा चूसने की आदत न बने।
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बच्चे की साफ-सफाई

4 महीने के बच्चे की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें बच्चे का इम्यूनिटी सिस्टम बेहद ही कजोर होती है । बच्चे के कपड़ों को साफ सुथरा रखें। डायपर गीला होने पर तुरंत चेंज करें गीले डायपर से बच्चे के रेशैज हो सकते हैं ,इस समय बच्चे खिलौने से खेलते हुए मुंह में लेता है इसलिए खिलौने साफ-सुथरे होने चाहिए गंदे खिलौनों से बच्चे के मुंह में संक्रमण तेजी से फैल सकता है । बच्चा अक्सर अपना हाथ व अंगूठा मुंह में लेता है इसलिए उसके नाखूनों को काटकर साफ करें।
घर की रखें साफ-सफाई

बच्चे के साफ सफाई के साथ-साथ घर की भी साफ सफाई रखनी चाहिए । घर में पोचा कीटाणु नाशक दवाई से लगाए। अगर सीलन वाली जगह है तो बच्चे के बिस्तर को रोजाना धूप लगाएं और उन्हें धोते समय एंटीसेप्टिक पदार्थ का प्रयोग करें। क्योंकि सीलन वाली जगहों पर बच्चे में इंफेक्शन होने के चांसेस ज्यादा रहते हैं।
नींद का रखें ध्यान

4 महीने का बच्चा 13 से 15 घंटे तक सोता है। लेकिन हर बच्चे के सोने के घंटे एक जैसे नहीं होते ज्यादातर बच्चे रात को ज्यादा सोते हैं। दिन में भी बच्चा तीन से चार बार थोड़ी थोड़ी देर के लिए सोता रहता है। सोते हुए बच्चे को कभी भी कच्ची नींद से नहीं उठाना चाहिए। इससे बच्चे में चिड़चिड़ापन पैदा हो जाता है इसलिए बच्चे को प्राप्त नींद लेना आवश्यक है।
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स्वास्थ्य का रखें ध्यान

बच्चे की इम्यूनिटी बहुत ही कमजोर होती है इसलिए उसके स्वास्थ्य के प्रति जरा सी भी लापरवाही ना करें। इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण बच्चे को बुखार, खांसी जुकाम होना आम बात है। परंतु इन से शरीर में इंफेक्शन होने से गंभीर समस्या हो सकती है। इसलिए डॉक्टर से परामर्श लें।
टीकाकरण

भारत सरकार द्वारा जनहित में जारी किए गए सभी टीकाकरण को बच्चों को लगवाए । इन टीकाकरण से इम्यून सिस्टम तो बढ़ता ही है साथ में भावी जीवन में होने वाली बीमारियों से भी बचाव होता है ।
4 महीने का बच्चा कितने देर तक सोता है

चार महीने का बच्चा दिन में तीन से चार बार सोता है। रात को पहले 3 महीने के मुकाबले कम जागता है। इस वक्त बच्चा 24 घंटे में कम से कम 13 से 15 घंटे की नींद लेता है । जो बच्चे कम सोते हैं उनमें अक्सर चिड़चिड़ापन देखा गया है।
4 महीने के बच्चे का आहार

पहले 3 महीने के अंतराल में बच्चा बार-बार थोड़ी थोड़ी देर में दूध पीता है लेकिन जैसे ही बच्चा बड़ा होने लगता है वैसे ही वह अपना अंतराल कम कर देता है। 4 महीने का बच्चा दिन में 4 से 6 बार दूध पीता है । 4 महीने के बच्चे को हर 3 से 4 घंटे बाद आप दूध पिला सकते हैं। कई बार बच्चे शोर-शराबे में दूध नहीं पीते। इसलिए उन्हें शांत माहौल में ले जाकर दूध पिलाएं। फिर भी अगर बच्चा दूध नहीं पीता तो उसे डॉक्टर के पास दिखाएं ।
माता-पिता रखें इन बातों का ध्यान
ऊपर बताई गई बातों के अलावा आपके बच्चे और भी अनेक गतिविधियां करते हैं प्रत्येक बच्चे का अपना अलग से व्यवहार होता है । कुछ बच्चे जल्दी सीखते हैं वहीं कुछ बच्चे धीमी गति से सीखते हैं। इसलिए माता-पिता परेशान ना हो। लेकिन कुछ एक गतिविधियां ऐसी होती है जिन्हें माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए । जैसे बच्चा 4 महीने का होने पर भी अपनी गर्दन को सही से ना संभाल पाना, बच्चे को बुलाने पर कोई रिएक्टर ना करना, इसी वक्त बच्चे का अपने हाथों पैरों को कम हिलाना या बिल्कुल भी ना हिलाना, बच्चे के द्वारा मां का दूध नहीं पीना आदि। इन सभी गतिविधियों का बच्चे में होने पर माता-पिता को एक बार डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।
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