5 से 6 महिने के बच्चे की गतिविधियां, विकास, आहार, स्वास्थ्य व देखभाल


जैसे कि हमने “thefamilylife.info” में अपने पिछले ब्लॉग्स में बच्चे के जन्म से लेकर 4 महीने तक कि गतिविधि विकास ,स्वास्थ्य व देखरेख से संबंधित सभी पहलुओं को रखा है कि बच्चा किस तरह धीरे-धीरे अपने पड़ाव को पार करता हुआ विकास करता है। जब बच्चा 5 से 6 महीने तक का होता है तब उसमें बहुत से बदलाव होते हैं । कुछ बदलाव को हम और आप आसानी से रोजमर्रा की जिंदगी में देखते हैं, तो चलिए आज हम 5 से 6 महीने के बच्चे के विकास और गतिविधियों से आपको रूबरू कराते हैं।

Table of Contents

5 से 6 महिने के बच्चे की गतिविधियां और विकास

गर्दन को पूरी तरह से संभालना

5 से 6 महीने के बच्चे का अपने आप गर्दन संभालना

वैसे तो 3 से 4 महीने का बच्चा थोड़ी-थोड़ी अपनी गर्दन को संभालने लगता है लेकिन 5 महीने के होते होते बच्चा अपनी गर्दन पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लेता है। अब गर्दन को सहारा नहीं देना पड़ता वह अपने आप इधर-उधर देखने के लिए घुमाने लगता है। बच्चे के गर्दन कि मांसपेशियां मजबूत होने लगती है। बच्चे की गर्दन का अपने आप नियंत्रण करने कि गतिविधि से उसके गर्दन कि मांसपेशियों के विकास को दर्शाती है।

6 महीने के बच्चे का बच्चे का सहारे से बैठना

 छोटे बच्चे का सहारे से बैठना

5 से 6 महीने के बच्चे को जब हम गोद में लेकर बैठते हैं, तो वह सहारे से बैठा रहता है । 5 महीने के बच्चे को थोड़ा थोड़ा बैठाना शुरू कर देना चाहिए ताकि वह 6 से 7 महीने तक अपने आप शरीर का कंट्रोल करके बैठ सकें । अधिकतर बच्चे 6 महीने का होते होते अपने आप बैठना शुरू कर देते हैं । उनकी मांसपेशियां कंट्रोल में होने लगती है। उनके पैरों की मांसपेशियों का विकास होने लगता है ।धीरे-धीरे हड्डियां मजबूत होने लगती है।

5 से 6 महीने के बच्चे का बेड पर पलटना

बच्चे का बेड पर पलटना

5 महीने का बच्चा बेड पर पलटना शुरू कर देता है । इस समय बच्चे का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि बच्चा जब पलटना शुरू कर दें तो उसके आसपास ऐसी वस्तु रखें जिससे वह गिर ना सके। गिरने से बच्चे को चोट आ सकती है या फिर आप बच्चे को अकेला ना छोड़े सोते समय बच्चे को बार बार संभाले।

पेट के बल सरकना

बच्चे का पेट के बल सरकना

5 से 6 महीने के बच्चे पेट के बल सिरकना सीख जाते हैं । वहीं कुछ बच्चे तो 6 महीने के घुटनों के बल भी चलना सीख जाते हैं ।इस माह में बच्चे पेट के बल लेटाने पर अपने धड़ को उठा लेते हैं। इस टाइम बच्चों को कभी भी बेड पर अकेला नहीं छोड़ना चाहिए । साथ में ऐसे चलने वाले खिलौने देने चाहिए जिसे देखकर बच्चा पकड़ने कि कोशिश करे । इससे बच्चे जल्दी घुटनों के बल चलना सीखता है।

5 से 6 महीने के बच्चे का हाथो पर नियंत्रण

बच्चे का खिलौना पकड़ते हुए अपने हाथों पर नियंत्रण करना

5 से 6 महीने के बच्चे का अपने हाथों पर पूरी तरह कंट्रोल हो जाता है । इस वक्त बच्चे को कोई भी वस्तु दी जाए तो वह बहुत ही मजबूती से पकड़ता है । उसके हाथों की मसल विकसित होने लगती है।5,6 महिने का बच्चा खिलोनों को अपने आप उठाने लगता है। खिलौनों को अपने मुंह में ले लेता है। यह सभी गतिविधियां उसके शारीरिक विकास को दर्शाती है।

6 महीने के बच्चे के दांत आना

हंसता हुआ बच्चा व उसके न्ये आते दांत

5 से 6 महीने के बच्चे के दांत आने शुरू हो जाते हैं । इस टाइम बच्चे के मसूड़ों में खुजली आने लगती है। जब भी बच्चे को खिलौने दिए जाते हैं तो वह बार-बार खिलौनों को मुंह में ले जाकर रगड़ता है ।इस दौरान बच्चों को टीथर जैसे खिलौने देने चाहिए। जिससे बच्चे के मसूड़ों को खुजली से आराम मिल सके।

नोट: सभी बच्चों के दांत 5 से 6 महीने में आना जरूरी नहीं है कभी-कभी बच्चों के दांत लेट आते हैं।

यह भी पढ़ें : बच्चे के दांत आने के लक्षण व दांत आने से पहले दी जाने वाली दवाइयां वह घरेलू नुस्खे

भाषा विकास/बोलने का प्रयास

बोलता हुआ बच्चा

जब बच्चा 3 महीने का होता है तो वह लगातार थोड़ा-थोड़ा बोलने का प्रयास करने लग जाता है। उस टाइम जब भी बच्चे को कोई बुलाता है तब वह अपना मुंह बोलने की तरह बनाता है। 6 महीने का होते होते वह एक दो वर्ड बोलना शुरू करते है। इस तरह वह धीरे-धीरे निरंतर बोलने का प्रयास करता रहता । और 5 से 6 महिने के बच्चों में भाषा का विकास होने लगता है। इस समय बच्चे कुछ एक शब्द का उच्चारण करना सिख जाते हैं जैसे ‘ पा ,’बा’,मा आदी।

परिचित व्यक्ति को पहचानना

व्यक्ति के साथ खेलता हुआ बच्चा

5 से 6 महिने तक का बच्चा अपने आसपास के परिचित व्यक्तियों को पहचानने लग जाता है। उनके बतलाने पर अपने हाव-भाव को दिखाता है। उनके साथ खेलता है ,उनके बतलाने पर मुस्कुराता है। ये सभी गतिविधियों इस दौरान बच्चे करने लग जाता है।

प्यार व लगाव

अपनी मां के साथ प्यार करता हुआ बच्चा

5 से 6 महिने का बच्चा प्यार व लगाव व्यक्त कर सकता है। अपने आसपास के लोगों से पहचानने लग जाता है । तो वही अपरिचित व्यक्तियों के पास जाने से डरते हैं। इस टाइम बच्चे परिचित व्यक्ति के साथ रहना ज्यादा पसंद करते हैं।

गोद में उठाने के लिए हाथ फैलाना

5 महीने के बच्चे का मानसिक विकास इतना हो जाता है कि वह समझने लगता है कि जब भी कोई उसके पास आकर दोनों हाथ फैलाता है ,तो वह समझ जाता है कि उसे उठाने के लिए बोला जा रहा है। इस तरह वह भी अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाता है ताकि उसे कोई गोद में उठा सके।

5 से 6 महिने के बच्चे का वजन व लम्बाई

महिना 5वजनलंबाई
लड़की5.6 से 7.5 किलो 63.7 सेंटीमीटर
लड़का6.2 से 8.2 किलो 64.7 सेंटीमीटर
महीना 6वजनलंबाई
लड़की5.6 से लेकर 7.5 किलो 65.7 सेंटीमीटर
लड़का6.2 किलो से लेकर 8.2 किलो 67सेंटीमीटर

5 से 6 महिने तक के बच्चे का आहार

6 महिने का बच्चा आहार खाता हुआ

5 महीने के बच्चे के लिए आहार मां का दूध ही होना चाहिए। अगर मां का दूध बच्चे के पेट भरने जितना आ रहा है तो उसे आप अन्य आहार ना दे। लेकिन अगर मां का दूध पूरा नहीं आ रहा तो बच्चे को नरम आहार दे सकते हैं । जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तब उसे आहार देना शुरू कर देना चाहिए । इस टाइम आप बच्चे को लिक्विड फॉर्म में आहार दे सकते हैं या नरम आहार दे सकते हैं जैसे केले को मैश करके दिया जा सकता है , या आप हलवा खिचड़ी बनाकर दे सकते हैं । बच्चे को एकदम से सभी चीजें ने खिलाएं उसे धीरे धीरे आहार देना शुरू करें पहले उसे सॉफ्ट और जल्दी से पचने वाली चीजें खिलानी चाहिए।बच्चे को ज्यादा से ज्यादा घर पर बना हुआ सामान ही खिलाएं।

यह भी पढ़ें : 6 महीने के बाद बच्चे को आहार में क्या खिलाए

6 महीने के बच्चे का भोजन के स्वाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करना

भोजन खाते हुए रिएक्ट करता हुआ बच्चा

वैसे तो 5 महीने का बच्चा अपनी मां के दूध के स्वाद को पहचानने लगता है, उसकी गंध को पहचाने लगता है जब बच्चा 6 महीने का होने लगता है तो हम उसे मां के दूध के साथ साथ बाहरी आहार भी देना शुरू कर देते हैं तो वह अलग अलग स्वाद को पहचाने लगता है । खट्टी चीजें देने पर वह अलग ही प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। नापसंद चीजों को खाने में आनाकानी करता है।

5 से 6 महीने के बच्चे को मां कितनी बार दूध पिलाएं

6 महीने के बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हुई मां

जैसे कि पिछली पोस्ट में बताया गया कि बच्चा जन्म से 3 महीने तक 2 घंटे बाद दिन में दूध पीता है । क्योंकि उसके शरीर का व पेट का इतना अधिक विकास नहीं हुआ होता। बच्चा जैसे-जैसे ब़ड़ा होता है, उसकी भूख और खाने-पीने की आदतें भी बदलने लगती हैं। 6 महीने के बच्चे की भी दूध पीने की आदतों में बदलाव होने लगता है। अब आपका बच्चा 5 से 6 महीने का चुका है तो उसके शारीरिक अंगों का विकास हो रहा है । अब उसे आप हर 4 से 5 घंटे में दूध पिला सकते हैं। क्योंकि 5 से 6 महीने का बच्चा पहले की तरह बार-बार पेशाब करना बंद कर देता है तो उसे बार बार भूख भी नहीं लगती। साथ में बच्चे को मां के दूध के अलावा आप बच्चे को अब आहार भी दे सकते हैं।

माता पिता बच्चे के विकास में क्या योगदान दे?

अपने माता पिता के साथ खेलता हुआ बच्चा
  • बच्चे को बैठना सिखाना। माता-पिता को बच्चे को सहारे के साथ बिठाना चाहिए जिससे वह थोड़े ही टाइम में अपने आप बैठना सीख जाए।
  • बच्चे को लेटाकर थोड़ी दूरी पर खिलौने रखना जिससे बच्चा क्रोल होना सीख सके । इससे घुटनों के बल भी चलना सीख जाता है। इसके साथ-साथ बच्चे की मांसपेशियां भी मजबूत होने लगती है।
  • माता पिता को बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा बातें करनी चाहिए । जिससे बच्चा भी बोलने का प्रयास करने लगता है इससे बच्चे कि भाषा का विकास होगा।
  • उनके सामने रंग-बिरंगी किताबें रखें और उन्हें कहानियां व लोरी सुनाएं। बच्चे इस समय बोलने का प्रयास करते हैं।
  • बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं। उनके साथ खेलें और उन्हें बाहर घुमाने ले जाएं।

माता-पिता द्वारा बच्चे कि देखभाल

माता पिता अपने बच्चे की देखभाल करते हुए
  • बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए सफाई का विशेष ध्यान रखें ।
  • इस टाइम पर बच्चे सभी खिलौने अपने मुंह में लेते हैं तो खिलौनों को साफ सुथरा रखें साथ में ऐसे खिलौने ना दें। जिससे बच्चे को नुकसान हो सके या चोट पहुंच सके।
  • बच्चे को बेड पर खेलते समय अकेला न छोड़े। बच्चा बेड से नीचे गिर सकता है व चोट लग सकती है।
  • बच्चे के आसपास ऐसी कोई भी वस्तु न रखें । जिससे बच्चा उस वस्तु को निगल सके।
  • जब भी बच्चे को मां के दूध के अलावा अन्य कोई आहार दें तो उसे मैस करके या लिक्विड फॉर्म में ही दें । अन्यथा बच्चे के गले में फस सकता है।
  • बच्चे को सभी टीकाकरण अवश्य लगवाएं।

ध्यान रखने योग्य बातें

अगर आपका बच्चा चीजों को लेकर जिज्ञासु नहीं है और सुस्त है।अगर वह हंस-बोल नहीं रहा है, चीजों को पकड़ने या एक हाथ से दूसरे हाथ में देने में असुविधा हो रही हो ,अगर बच्चा सहारे के बावजूद बैठ नहीं पा रहा हो, बच्चा पूरे दिन रो रहा हो,अगर वो ठीक से सो नहीं रहा हो, बच्चे को दूध पीने में या आहार खाने में असुविधा हो रही हो तो बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाकर चेक करवाएं।

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