डायपर से रैशेज होने के जाने कारण व करें घरेलू उपचार


नवजात शिशु की त्वचा बेहद ही नाजुक होती है। ऐसे में लंबे समय तक डायपर पहनने की वजह से रैशेज होना स्वाभाविक है। आज की जनरेशन की मां अपने सुख के लिए बच्चों को पूरा दिन डायपर पहनाए रखते हैं लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे की स्किन बहुत ही ज्यादा सेंसिटिव होती है । जिससे बच्चे को लंबे टाइम तक डायपर पहनाने से रैशेज हो जाते हैं, इसके अलावा और भी अनेक कारण होते हैं, जिनसे बच्चों के रेशैज हो जाते है। तो चलिए आज हम अपनी thefamilylife.info की इस पोस्ट में डायपर से रैशेज होने के कारण व घरेलू उपचार के बारे में जानकारी देंगे।

रैशेज होने के कारण

बच्चे के डायपर से रैशेज

डायपर का लंबे समय से इस्तेमाल करना डायपर रैशेज का प्रमुख कारण है। लेकिन इसके अतिरिक्त और भी अनेक कारण हैं जिनसे बच्चों के रेशैज हो सकते है। नीचे दिए गए इन कारणों को जान कर हम रैशेज का उपचार कर सकते है।

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डायपर से रैशेज होने के जाने कारण

डायपर बच्चे के होने वाले रैशेज का प्रमुख कारण माना जाता है इसलिए डायपर से रैशेज किस प्रकार होते है,यह जानना भी बहुत जरूरी है। जिसके बारे में नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है।

  1. लम्बे समय तक डायपर पहनाना – बच्चे बार बार पेशाब व पोटी करते हैं। इससे बच्चे व बच्चे को गोद में उठाने वालों के कपड़े गीले हो जाते है। इसके चलते माता पिता अपने बच्चे को डायपर पहनाते है लेकिन डायपर का यूज़ डेली रूटीन में लंबे समय तक करना उचित नहीं है। इससे बच्चे के प्राइवेट पार्ट को हवा नहीं लगती जिसके कारण रेशैज हो जाते हैं। इसलिए आपका बच्चा जब घर पर हों तो डायपर का इस्तेमाल न करें आप बच्चे को नैपी पहनाए और कुछ देर के लिए बच्चे को बिना डायपर व नैपी के खुला रखें। इससे बच्चे का शरीर सुखा रहेगा तो रैशेज नहीं होंगे।
  2. डायपर की क्वालिटी का अच्छा न होना-बाजार में आज कल इतने प्रकार के डायपर उपलब्ध है कि सही ग़लत का पहचान करना बहुत मुश्किल है। ज्यादा प्रोडक्ट बेचने के चक्कर में क्वालिटी की तरफ ध्यान नहीं देते। लेकिन आप अपने बच्चे के लिए वही डायपर खरीदें जो अच्छी कंपनी के हो, जिनकी सभी जानकारी डायपर के पैकेट पर दी गई हो।आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न बरतें। सही क्वालिटी के डायपर से बच्चे के कोमल स्किन को रैशेज होने से बचा सकते है।
  3. डायपर का साइज -डायपर का साइज भी रैशेज होने का कारण हो सकता है। बेबी को छोटे साइज का डायपर पहनाने से स्किन को हवा नहीं लगती जिसके कारण बच्चे को पसीना आता रहता है और रैशेज हो जाते हैं। बच्चे को एक साइज बड़ा डायपर पहनाएं । ताकि बच्चे की स्किन अच्छे से सांस ले सके।
  4. केमिकल्स वाले डायपर – अधिकतर पैरेंट्स डिस्पोजेबल डायपर खरीदना पसंद कतरते हैं, लेकिन इनमें केमिकल्स का बहुत अधिक इस्तेमाल किया जाता है।डायपर बनाते समय कई केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें थैलेट्स प्रमुख है। यह एक ऐसा रसायन है, जो नमी पाकर डायपर से मुक्त हो जाता है और फिर बच्चे की स्किन से इसका संपर्क होता है। जो बच्चे के लिए बहुत ही हानिकारक माना जाता है। इससे ना सिर्फ रैशेज बल्कि कई अन्य बीमारियां भी बच्चे को हो सकती है। इसलिए जितना हो सके उतना बच्चे को डायपर कम पहनाए।
  5. डायपर को चेंज करना– एक ही डायपर को कई घंटों तक पहनाए रखना भी रैशेज का कारण बन सकता है। इसलिए डायपर के पैकेट पर दी गई जानकारी के अनुसार उन्हें चेंज कर देना चाहिए। डायपर को हर 2 से 3 घंटे बाद बदल देना चाहिए।

गर्मी से रैशेज

रैशेज का एक कारण गर्मी भी हो सकता है। अक्सर गर्मियों में बच्चों के पूरे चेहरे पर खास कर बम पर बहुत अधिक रैशेज हो जाते हैं। ऐसे में आप गर्मियों में बच्चों की साफ सफाई पर पूरा ध्यान रखें। गर्मियों में पसीना आने पर भी रैशेज हो जाते है । बच्चे को कम से कम गर्मियों में दो बार अवश्य नहलाएं। साथ में आप बच्चे के रूम का टेंपरेचर मेंटेन रखें।

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बच्चे का डायपर या नैपी का गीला रहना

छोटे बच्चे बार-बार पेशाब करते रहते हैं ।ऐसे में उनका डायपर व नैपी अधिक देर तक गीला रहने से संक्रमण होने का डर रहता है। अगर बेबी के डायपर नियमित रूप से न बदले जा रहे हों और बच्चे की साफ-सफाई में कमी हो, तो भी संक्रमण के कारण बच्चे को डाइपर रैशेज हो सकते हैं। इसलिए बच्चे को कभी भी पूरे दिन तक डायपर नहीं पहनाना चाहिए। दिन में कम से कम 1 से 2 घंटे तक बच्चे को बिना डायपर व नैपी के रखें। इससे बच्चे की स्किन ड्राई रहेगी तो रैशेज होने के चांस कम होंगे।

डर्ट/ गंदगी से रैशेज होना

नवजात बच्चे कि स्किन बहुत ही अधिक कोमल होती है। और इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण संक्रमण जल्दी फैलता है। ऐसे में नवजात बच्चों के आसपास की सफाई अगर सही से न की गई हो, तो भी बच्चों के रेशैज होने के चांस अधिक रहते हैं। ऐसे में आप नवजात बच्चे के रूम की सफाई का विशेष ध्यान रखें।

बच्चे के बिस्तर का साफ न होना

बच्चे के बिछौनों को आप साफ सुथरा रखें। बच्चे बार बार बिछौनों में पेशाब करते हैं। इसलिए नियमित रूप से उन्हें धोएं व एंटीसेप्टिक पदार्थ पानी में डालकर बिछौनों को उसमें डालें, फिर सुखाएं। इससे बच्चे के पेशाब से होने वाला संस्करण नहीं होगा।

बड़ों के गन्दे हाथों से रेशैज होना

नवजात शिशु बहुत ही कोमल होते हैं। और इनका इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है। इसलिए बच्चे को जब भी कोई परिचित गोद में उठाया है,तो पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करके ही उठाएं। साथ में बेबी के डायपर चेंज करते समय भी अपने हाथों को साफ रखें। गन्दे हाथों से संक्रमण हो सकता है और रैशेज हो सकते है।

स्तनपान कराने वाली मां के गर्म चीजों के सेवन से रैशेज

6 महीने तक बच्चा केवल अपनी मां का दूध हि पीता है। मां जैसा आहार का सेवन करगी ,वही दूध में पोषक तत्व के रूप में बच्चे को मिलेंगे। इसलिए मां को शुरूआती 6 महीने तक अपने खान पान का विशेष ध्यान रखना होता है। अगर मां अधिक गर्म तासीर वाली कोई भी प्रदार्थ / दवाइयों का सेवन कर रही है ,तो उससे आपके बच्चे के भी शरीर पर असर पड़ता है। इससे बच्चे के शरीर में गर्मी बढ़ जाती है और रैशेज हो जाते हैं।

संक्रमण से रैशेज

डायरिया से पेट खराब की समस्या से भी डायपर रैश हो सकते हैं। दरअसल, लैक्टोज इन्टोलेरेंस के कारण यह समस्या हो सकती है। ऐसे में मलत्याग से बच्चे की त्वचा पर प्रभाव पड़ सकता है, जिसका नतीजा डायपर रैश हो सकता है।

केमिकल के कारण

वाइप्स, साबुन, लोशन या पाउडर में मौजूद केमिकल के कारण डायपर रैशेज हो सकते हैं।बच्चे की त्वचा संवेदनशील होती है । इनमें ऐसे रसायन होते हैं, जो शिशु की त्वचा के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए इन्हें यूज करते समय ध्यान रखें।

ठोस आहार के कारण रेशैज

जब बच्चे ठोस आहार लेना शुरू करते हैं तो डायपर रैशेज तब ज्यादा दिखने लगते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि शुरू में बच्चे को आहार पचता नहीं, और दस्त की समस्या भी हो जाती है, जिस कारण बच्चे डायपर बार-बार गीला करते हैं और बार-बार उन्हें साफ करने से रैशेज हो जाते है।

नए कपड़ों से रैशेज

जब हम बच्चे के नए कपड़े लेकर आते है,तो उन्हें बिना धोएं पहना देते है। इन कपड़ों को डाई करने के लिए केमिकल का प्रयोग किया जाता है। नए कपड़ों को मांड दी जाती है जो कपड़ों को साइन करके रखता है। इसलिए बच्चे को नए कपड़े बीना धोएं न पहनाए। बच्चों की स्किन सेंसिटिव होती है। ये केमिकल्स बच्चे को एलर्जी कर सकते है,जिससे रैशेज हो सकती है।

डायपर से रैशेज होने पर करें ये घरेलू उपचार

  • डायपर का यूज़ कम करें
बीना डायपर के बच्चा

बच्चे को घर पर डायपर न पहनाए ,अगर आप डायपर पहनाते हो तो भी बच्चे को कम से कम 3 घंटे तक बीना डायपर रहने दे । इससे स्किन में हवा लगेगी तो वहां कि स्किन सूखी रहेगी ,स्किन सूखी रहने से कटने का चांस कम होगा।

  • नारियल तेल
रैशेज के लिए नारियल तेल

नारियल का तेल स्किन के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है । इसमें विटामिन- ई पाया जाता है। डायपर से स्किन कटने पर या फिर रैशेज होने पर आप नारियल का तेल भी यूज कर सकते हैं। बच्चे को अच्छे से नहलाने के बाद नारियल के तेल की मसाज करें स्किन में मोइश्चर बना रहेगा ,स्किन के रैशेज कम होने लगेंगे।

  • बेबी पाउडर
Baby powder

छोटे बच्चे की स्किन कटने पर आप बेबी पाउडर का इस्तेमाल कर सकते हैं । नहलाने के बाद बच्चे को अच्छी तरह पोंछ ले। शरीर को पूरी तरह से सुखा लें ।अब आप स्किन पर बच्चे को पाउडर लगाएं ।पाउडर स्किन पर आए हुए पसीने को सोख लेता है इससे स्किन नहीं कटती।

सावधानी – अगर बच्चे को इससे एलर्जी है। छींके आती है तो इसका प्रयोग न करें।

  • एलोवेरा से रैशेज का उपचार
फ्रैस एलोवेरा

बेबी के रेशैज होने पर आप एलोवेरा जेल का प्रयोग कर सकते हैं ,एलोवेरा में एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं यह स्किन को मोइश्चराइज करता है ,जिससे बच्चे के शरीर पर होने वाले रेशैज से राहत मिलती है । इसके लिए बच्चे के बंप को अच्छी तरह से साफ करके उसको सुखाकर एलोवेरा जेल से मसाज करें। आप चाहें तो एलोवेरा के पौधे से ताजा एलोवेरा लेकर भी मसाज कर सकते है।

  • दही से रैशेज का उपचार
दही

दही का प्रयोग तो दादी नानी बालों में, चेहरे पर और हाथों पैरों पर करती आ रही है। पहले बच्चे को साबुन की जगह दही से नहलाया जाता था। क्योंकि दही में लैक्टिक एसिड पाया जाता है जो मृत त्वचा कोशिकाओं को एक्सफोलिएट करने और त्वचा को क्लीन करने में मदद करती है। साथ में दही का एंटीबैक्टीरियल गुण एलर्जी को कम करने में मदद करता है। और इसका विटामिन सी एलर्जेन के असर को कम करता है। इस तमाम चीजों के अलावा दही लगाने का एक फायदा ये भी है कि इसकी प्रकृति ठंडी होती है। जो रैशेज को होने से रोकती है। इसलिए आप बच्चे को दही से नहलाएं ताकि आपके बच्चे के शरीर की कोमलता बनी रहें।

  • डायपर रैशेज क्रीम

मार्केट में बच्चों के लिए रैशेज के नाम पर बहुत क्रीम उपलब्ध है। लेकिन बच्चे के स्किन पर कम से कम केमिकल्स वाली क्रीम यूज करें तो बेहतर रहेगा। इसलिए आप इन क्रीमों पर दिए गए सभी जानकारी को पढ़ कर लें,या फिर डाक्टर की सलाह से लें।आपको हम कुछ क्रीमों के नाम बता रहे हैं, जो डायपर रैशेज में यूज कि जाती है। हिमालय डायपर रैश क्रीम,सेटाफिल बेबी डायपर क्रीम,मॉम एंड वर्ल्ड बेबी डायपर रैश क्रीम,सेबमेड बेबी रैश क्रीम।

  • नीम दे रैशेज से राहत
नीम की पत्तियां रैशेज ठीक करने के लिए

नीम के गुणों के बारे में तो सभी जानते ही हैं। महिलाएं इसे अपने चेहरे पर पिम्पल को सही करने के लिए मास्क बना कर लगाती है क्योंकि इसमें एंटीबैक्टीरियल के गुण हैं। इसलिए नीम के पाउडर या नीम के पानी से आप बच्चे को नहला सकती है। जो बच्चे के स्किन पर हुएं रैशेज को बहुत जल्दी ठीक करेगा। चाहे रैशेज बच्चे के शरीर पर कहीं भी हो।

  • सही साइज का डायपर
डायपर का साइज चैक करते हुए

बच्चे को हमेशा सही साइज का ही डायपर पहनाएं ,हो सके तो आप एक साइज बड़ा भी ले सकते है। क्योंकि टाईट डायपर से भी रैशेज हो जाते है। टाईट डायपर के कारण बच्चे के स्किन को हवा नहीं लग पाती और रैशेज होने का कारण बन जाता है।

डायपर रैशेज न हो इसके लिए सावधानियां

  • डायपर को हर 2 से 3 घंटे में बदले।
  • कुछ देर बच्चे को बिना डायपर के रखें।
  • डायपर का साइज सही होना चाहिए।
  • बच्चे को गन्दे हाथों से न छुएं।
  • बच्चे के बिस्तर को साफ रखें।
  • बच्चे के कपड़े के नैपी व कपड़े माइल्ड डिटर्जेंट से धोएं ,साथ में अच्छे से पानी में निकालें।
  • ज्यादा वाइप्स का उपयोग न करें, जिसमें अल्कोहल या कृत्रिम सुगंध का उपयोग किया गया हो।
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