अक्सर भारत में बच्चों का जन्म बिना पलेनिंग के होता है । लेकिन जब पहला बच्चा होता है तो माता पिता को बच्चों के जन्म से 3 महीने के बच्चे की एक्टिविटी, विकास व देखभाल से जुड़ी जानकारी नहीं होती। जन्मजात बच्चे बहुत ही अधिक नाजुक होते हैं इसलिए उनकी देखभाल व उनके अंदर आए बदलाव को जानना माता-पिता के लिए बहुत ही जरूरी है तो आज हम बच्चों से जुड़ी जानकारी आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं।
जन्म से 3 महिने तक के बच्चों की एक्टिविटी व विकास
बच्चे कि नींद

न्यू बोर्न बच्चे को नींद की बहुत अधिक आवश्यकता होती है बच्चा हर दिन 16 से 17 घंटे तक सोता है यह बच्चे के शारीरिक वह मानसिक विकास के लिए बहुत ही आवश्यक होता है इसलिए बच्चे के नींद का विशेष ध्यान रखना चाहिए जब भी बच्चा सो रहा हो,तब वहां पर शोर-शराबा नहीं करना चाहिए । जहां बच्चा सो रहा है वहां शांत माहौल होना चाहिए ताकि बच्चा पुरी तरह से नींद लें सके। क्योंकि छोटे बच्चे थोड़ी सी आवाज पर बार-बार चौंक जाते हैं ,इससे बच्चे की नींद पूरी नहीं हो पाती और बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है।
रिलेटेड पोस्ट : प्रसव/डिलीवरी के बाद मां क्या खाएं क्या ना खाएं
बच्चे की ब्रेस्टफीडिंग

बच्चे लगभग हर 2 -3 घंटे में भुखे हो जाते है क्योंकि अभी उनके पेट का विकास नहीं हुआ होता और साथ में निंद ज्यादा आने के कारण वह बहुत कम दुध पीता है और साथ में वह बार बार पेशाब करता है जिस कारण वह हर 2 से 3 घंटे बाद भूखा हो जाता है। ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय मां को कुछ विशेष ध्यान रखना चाहिए जैसे बच्चे को सही पोजीशन में ब्रेस्टफीडिंग करवाएं बच्चे का ऊपरी भाग थोड़ा टेढ़ा करके ब्रेस्टफीडिंग करवानी चाहिए इससे बच्चे के पेट में गैस नहीं बनती और अच्छे से दूध पचता है।
रिलेटेड पोस्ट : 4 महीने के बच्चे की गतिविधियां, विकास, स्वास्थ्य व देखरेख
बच्चे का बार बार पेशाब व पॉटी करना

अक्सर छोटे बच्चे बार-बार पेशाब करते हैं और साथ में चार से पांच बार पॉटी जाते हैं लेकिन कुछ एक बच्चे 6,7 दिन तक पॉटी नहीं जाते ,तो इसमें परेशान होने वाली बात नहीं है अक्सर बच्चे कुछ दिन तक पॉटी नहीं जाते है यह नॉर्मल है अगर 7 दिन बाद भी बच्चा पॉटी ना जाए तो डॉक्टर से सलाह लें। कुछ बच्चे पेशाब व पॉटी बार बार करते हैं।
बच्चे का शारीरिक विकास

बच्चे के 2 से 3 महिने तक आते आते हम बच्चे के शरीर कि लम्बाई व उसके वजन में बहुत अधिक अंतर देख सकते हैं। यह उसके शारीरिक विकास को दर्शाता है इसके अलावा वह अपनी गर्दन को थोड़ा थोड़ा घुमाना शुरु कर देता है । वह अपने हाथ को अपने मुंह तक ले जाता है और उसके हाथों पैरों व गर्दन कि मसल मजबूत होने लगती है।
बच्चे की मांसपेशियों का विकास

जब बच्चा 3 महिने का हो जाता है तो वह खिलोनों को अपने हाथ से पकड़ने की कोशिश करता है साथ में हाथ पैर को तेजी से हिलाता है । इस टाइम पर आप बच्चे लिए सॉफ्ट म्यूजिक और हैंगिंग रैकेट वाले खिलौने ला सकते हैं इससे बच्चा अपने हाथों पैरों को जोर-जोर से हिलाएगा जिससे उसकी मांसपेशियों का अच्छे से विकास होगा।
जन्म से 3 महीने के बच्चे की गतिविधियां
आवाज पेहचान्ना

3 महिने का बच्चा अपनी मां की आवाज़ पहचान्ने लगता है आवाज के साथ देखता है ,अब आप अपने बच्चे को जितना हो सके उतना उसे बुलाए ताकि वह आपके होठों को देखकर थोड़ा थोड़ा आवाज को पकड़ना शुरू करें । इस तरह कुछ महीनों में ही बच्चा थोड़े थोड़े शब्दों को सीख जाता है ,इससे बच्चे का मानसिक विकास होता है और बच्चा बोलने की कोशिश करता है।
रिलेटेड पोस्ट : जन्म से 3 महीने तक के बच्चों के खिलौने
आवाज निकालना

बच्चा 3 महीने का होते होते थोड़ा-थोड़ा गुनगुनाना शुरू कर देते हैं। वह अपने तरीके से आवाज निकालते हैं ,बच्चा एक ही तरीके से आवाज निकाल कर बार-बार उसे रिपीट करता है ,बच्चा बुलाने पर अपना मुंह बोलने कि तरह बनाता है साथ में थोड़े थोड़े हुंकारें की आवाज़ निकालता है। इससे हमें बच्चे की भाषा-विकास का पता चलता है।
जन्म से 3 महीने तक के बच्चे का वजन व लम्बाई
हर जन्मजात बच्चे का वजन व लम्बाई अलग अलग होते हैं लेकिन जन्म के समय नवजात शिशु का औसतन वजन 3.3 किलोग्राम के आस-पास होता है। 1 महीने के लड़के का वजन 4.2 किग्रा और लड़की का वजन 4.5 किग्रा ,2 महीने महीने के लड़के का वजन 5.1 किग्रा और लड़की का वजन 5.6 किग्रा होता है ,3 महिने के बेबी गर्ल का सामान्य वजन 6.3 किलो और लंबाई 59.8 सेंटीमीटर तक हो सकती है ,वहीं बेबी बॉय का सामान्य वजन 6.9 किलो तक और लंबाई 61.4 सेंटीमीटर हो सकती है। अक्सर बच्चे की लम्बाई हैरिडेटरी होती है।
जन्म से 3 महिने तक के बच्चों की देखभाल
इम्यूनिटी का रखें ध्यान

जन्म के बाद बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर होती है इसलिए बच्चे के आसपास की सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बाहर से आए व्यक्ति को बच्चे के पास जाने से पहले हाथों को धोना चाहिए।बच्चे के कपड़ों को एंटीसेप्टिक पदार्थ से धोना चाहिए।अगर बच्चा सर्दियों में जन्मा है तो पॉटी करने पर बार-बार न धोएं , बार-बार धोने से बच्चे को सर्दी लग सकती है। इसके लिए आप बच्चे को वाइफ से साफ कर सकते हैं।
बच्चे की साफ सफाई

बच्चा बार बार पेशाब करता है इसलिए उसके लंगोट व बिछौने को तुरंत बदले। गीले लंगोट व बिछौने से बच्चे के शरीर पर रेशैज हो सकते है। इसलिए बच्चे को हमेशा सुखा रखें उसके कपड़ों को साफ रखें। उसके कपड़ों व बिछौनौ को एंटीसेप्टिक लिक्विड से धोना चाहिए।
जन्मजात बच्चे के जॉन्डिस/ पिलीये का रखें ध्यान
जन्म से 15 दिन तक बच्चे का खास ध्यान रखें क्योंकि इस समय बच्चे को पिलीया/जॉन्डिस होने का खतरा ज्यादा होता है।ऐसा खून और शरीर के ऑर्गनस में बिलिरुबिन नामक तत्व की मात्रा बढ़ने की वजह से होता है। लेकिन अधिकतर मामलो में बच्चे के लिवर के विकसित होने पर पीलिया अपने आप ठीक हो जाता है। अधिकतर मामलों में पीलिया दो से तीन हफ्तों के अंदर ठीक हो जाता है लेकिन अगर यह 3 हफ्ते से ज्यादा समय से हो रहा है, तो यह किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का लक्षण हो सकता है। ऐसे समय में बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
बच्चे को नहलाने से पहले रखें इन बातों का ध्यान

बच्चे को नहलाने से 1 घंटे पहले तेल से मालिश करें। इस से बच्चे का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है। नहलाते समय बेबी सोप का इस्तेमाल करें। इसके अलावा आप दादी नानी के घरेलू नुस्खे को भी अपना सकते हैं। पहले बच्चों को दुध व दही से नहलाया जाता था। इससे बच्चे के कोमल शरीर को और अधिक मॉइश्चर मिलता है। इससे बच्चे का शरीर मुलायम व चमकदार बना रहता है।
जन्मजात बच्चे को कितने टाइम पर दूध पिलाना चाहिए

जन्म से 3 महिने तक बच्चे बार बार पेशाब करते हैं। जिससे उन्हें हर 2 से 3 घंटे बाद भूख लग जाती है इसलिए उसे 2-3 घंटे बाद दूध पीलाते रहना चाहिए। अगर बच्चा किसी कारण से दूध नही पी रहा तो उसे डॉक्टर को दिखाएं।
ब्रेस्टफीडिंग करवाते समय मां को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान
ब्रेस्ट मिल्क बच्चे के लिए पहला सुपरफूड होता है ,इससे बच्चे को संपूर्ण आहार मिलता है तथा हड्डियों और मांसपेशियों का विकास होता है इसलिए यह जरूरी है बच्चे को किस तरीके से दूध पिलाया जाए ताकि दूध पूरे तरीके से पचकर बच्चे के विकास में मदद करे ।
- मां को बैठकर बच्चे को दूध पिलाना चाहिए इससे बच्चे का ऊपर का हिस्सा उठा हुआ रहता है जिससे दूध पिलाने पर बच्चे के पेट में गैस नहीं बनती।
- मां को लेट कर दूध कम से कम पिलाना चाहिए अगर रात को बच्चे को लेट कर दूध पिलाएं तो बच्चे के गर्दन को थोड़ा सा उठा कर रखें।
- कई बार बच्चा दूध की उल्टियां करता है इसलिए बच्चे को जब भी दूध पिलाएं उसके बाद आप उसे गले लगाकर पीठ थपथपाए ,इससे बच्चे को डकारें आएगी और दूध जल्दी पचेगा।
छोटे बच्चे के पेट में गैस बनने पर क्या करें

बच्चे के पेट में गैस ना बने और उसकी पाचनशक्ति बनी रहे इसके लिए बच्चे को जायफल ठंडे पानी में घिसकर एक चम्मच रोज पिलाएं । साथ में जब भी बच्चे को दूध पिलाएं उसके बाद मां को बच्चे को अपने कंधे से लगा कर थपथपाना चाहिए जिससे बच्चे के पेट में गैस नहीं बनती। मां को लेटकर भी दूध नहीं पिलाना चाहिए इससे भी गैस बनती है।
रिलेटेड पोस्ट : बच्चे के पेट की समस्याओं के कारण व घरेलू उपचार
बच्चे के ऊपरी सिर के बीच के हिस्से का कंपन करना
जन्म के बाद बच्चे का शरीर बहुत ही नाजुक होता है खासकर उसके सिर के बिच का भाग जिसे तालवा कहा जाता है यह भाग बहुत ही सोफ्ट होता है। यह कई बार बहुत अधिक कंपन करता है ,गर्मी में यह ज्यादा कंपन करता है इसलिए गर्मियों में बच्चे के मुंह पर ठंडे पानी के छिंटे दें । छिंटे देने से तालवा कंपन करना बंद कर देता है।
पोस्ट डिस्क्लेमर – कृपया ज़रूर पढ़ें
हम अपने रीडर्स तक सही जानकारी लाने का पूरा प्रयास करते हैं पर ये हमारे, हमारे जान पहचान के लोगों और हमारे पुर्वजों के नीजी विचार हैं और किसी भी तरीके से प्रोफैशनल , मैडिकल या ऐक्सपर्ट एडवाइस नहीं है और ना ही उस तरीके से समझी जानी चाहिए । कृप्या इस ब्लौग की एडवाइस अपनी समझदारी के अनुसार फौलो करें और ज़रूरत पड़ने पर ऐक्सपर्ट से सम्पर्क ज़रूर करें । इस पोस्ट के लेखक या ये वैबसाईट किसी भी तरीके से इस पोस्ट को पढ़ने के बाद रीडर्स को होने वाली हानी के लिए जि़म्मेदार नहीं हैं ।