क्या आपके बच्चे भी बार बार बीमार पड़ते हैं? जाने कारण व करें उपचार


हमने अपने आस पास देखा है कि कुछ बच्चे बार बार बीमार पड़ते रहते हैं। दवाइयां दिलाने के वाबजूद बच्चे कुछ समय के लिए तो ठिक हो जाते है। लेकिन फिर थोड़े दिनों बाद वे बीमार पड़ जाते है। ऐसे में बच्चे तो परेशान होते ही हैं साथ में माता पिता भी परेशान व चिंतित हो जाते है। इसलिए पेरेंट्स को दवाई दिलाने से पहले बच्चे के बार बार बीमार होने का कारण जानना बेहद जरूरी है। तभी आप अपने बच्चे को बार बार बीमार होने से बचा पाएंगे।

बच्चे, उनकी कमजोर और विकासशील प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ, बीमारियों के लगातार मुकाबलों से ग्रस्त होते हैं। यह संवेदनशीलता उन्हें घेरने वाले सूक्ष्म जीवों के करीब निकटता से और बढ़ जाती है। इन कारकों के प्रकाश में, माता-पिता या अभिभावकों के लिए इन बीमारियों के सामान्य अंतर्निहित कारणों को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है। इसको समझ कर, वे तब उचित सावधानी बरत सकते हैं और अपने बच्चे की पीड़ा को कम करने के लिए प्रभावी घरेलू उपचार कर सकते हैं। इस लेख में बच्चों के लगातार बीमार होने के पीछे प्रमुख कारणों को जानकर और सरल और सुलभ घरेलू उपचार के बारे में जानकारी देंगे। जो निचे लेख में विस्तार पूर्वक दि गयी है।

बच्चों के बार बार बीमार होने के कारण

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1.इम्यूनिटी पावर का कमजोर होना

बच्चे का बार बार बीमार होने का सबसे बड़ा कारण इम्यूनिटी पावर का कमजोर होना है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण बच्चों में संक्रमण जल्दी फैलता है। घर या बाहर किसी बीमार व्यक्ति के सम्पर्क में आते ही बच्चे तुंरत उस बीमारी से ग्रस्त हो जाते है। उनके शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम होती है कि उनका शरीर उस बीमारी से लड़ नहीं पाता।

2. पर्यावरण

बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने में पर्यावरण भी एक कारण है पर्यावरण में पराग, धूल के कण, पालतू जानवरों की रूसी, और कुछ खाद्य पदार्थों जैसे एलर्जी अस्थमा, एलर्जिक राइनाइटिस या एक्जिमा जैसी लगातार बीमारियों को ट्रिगर कर सकते हैं। इन पर्यावरणीय ट्रिगर्स को समझना उनके प्रभावों को प्रबंधित करने और कम करने में आवश्यक है। माता-पिता को घर के भीतर एलर्जी मुक्त क्षेत्र बनाने, एयर प्यूरीफायर को नियोजित करने, नियमित रूप से बिस्तर धोने और सम्पूर्ण आहार को बनाए रखना चाहिए। इन रणनीतियों को लागू करके, माता-पिता अपने बच्चे के एलर्जी के संपर्क को कम कर सकते हैं और इस प्रकार बार बार होने वाली बीमारियों से बच्चे को बचा सकते है।

2. जीवन शैली और पोषण

माता-पिता अपने बच्चों के लिए जो जीवन शैली और पोषण विकल्प बनाते हैं, वे उनके समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शारीरिक गतिविधि की कमी, अपर्याप्त नींद, खराब आहार की आदतें और असंतुलित पोषण एक बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली में बांधा डाल सकते है।, जिससे यह संक्रमण से लड़ने में कम प्रभावी हो सकता है। माता-पिता को इन कारकों के महत्वपूर्ण प्रभाव को समझने का प्रयास करना चाहिए, वे अपने बच्चे के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने के लिए सक्रिय रूप से बदलाव कर सकते हैं। नियमित व्यायाम को प्रोत्साहित करना, लगातार नींद के पैटर्न स्थापित करना, पोषक तत्वों से भरपूर भोजन को शामिल करना, और एक अच्छी तरह से गोल आहार सुनिश्चित करना सभी बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और बीमारियों की आवृत्ति को कम करने में योगदान करते हैं।

3.माइक्रोबियल खतरा

बच्चों में बार बार बीमारियों के प्रमुख कारणों में से एक माइक्रोबियल दुनिया के साथ उनकी निरंतर बातचीत है जो उनके वातावरण में मौजूद है। बच्चे खेल कूद में व्यस्त रहते हैं, और उन्हें अच्छी व गंदी जगहों का पता नहीं होता,जिसके कारण उनके हाथों को बैक्टीरिया, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीव घेर लेते हैं। यह इन इंटरैक्शन के माध्यम से है कि बच्चे अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को प्राप्त, विकसित और मजबूत करते हैं। हालांकि, समय-समय पर, कुछ सूक्ष्मजीव अपने विकासशील बचाव पर हावी हो सकते हैं, जिससे बार-बार बीमारी हो सकती है। सूक्ष्म दुनिया की व्यापक समझ का निर्माण करके जिसमें हमारे बच्चे रहते हैं, माता-पिता हानिकारक कीटाणुओं के संपर्क को कम करने के लिए सक्रिय उपाय कर सकते हैं। सरल सावधानियां, जैसे साबुन और पानी से नियमित रूप से हाथ धोना, बार-बार छूने वाली सतहों को कीटाणुरहित करना, और अच्छी श्वसन स्वच्छता को बढ़ावा देना, बार बार होने वाली बीमारियों की संभावना को काफी कम कर सकता है।

4.रोगाणुओं के संपर्क में:

अपनी प्राकृतिक जिज्ञासा और अन्वेषण की प्रक्रिया में, बच्चे अपने परिवेश में खुद को विसर्जित करते हैं, विभिन्न सूक्ष्मजीवों और हानिकारक रोगजनकों के साथ जुड़ते हैं। यह निरंतर और गतिशील बातचीत, चाहे वह स्कूल या डेकेयर वातावरण की सीमाओं के भीतर होती है, इसके परिणामस्वरूप बार बार संक्रमण होने की संभावना होती है। नतीजतन, त्रुटिहीन व्यक्तिगत स्वच्छता प्रथाओं को स्थापित करना और बनाए रखना महत्वपूर्ण हो जाता है, जैसे कि अक्सर हाथों को सावधानीपूर्वक साफ करना, क्योंकि इससे संबंधित जोखिमों को काफी कम किया जा सकेगा।

5.टीकाकरण की कमी

अनुशंसित टीकाकरण अनुसूची का पालन करने से कुछ बीमारियों के लिए एक बच्चे की इम्युनिटी को बढ़ाती है। टीकाकरण बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने और समुदाय के बीच संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने में मदद करता है। सरल घरेलू उपचार अविश्वसनीय रूप से प्रभावी हो सकते हैं जब बीमारी के समय बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने की बात आती है। टीकाकरण द्वारा आप अपने बच्चे को भविष्य में होने वाली घातक बीमारियों से बचा सकते हैं।

ऊपर दिए गए कारणों को जान कर हम बच्चों की जीवन शैली में बदलाव करके बार बार बीमार होने से बचा सकते है। तो चलिए आगे हम इस लेख में जानते है कि बच्चों को बार बार होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए क्या उपचार कर सकते है।

बार बार बीमार होने वाले बच्चों का इस तरह करें उपचार

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बार बार बीमार होने वाले बच्चों को विटामिन सी युक्त आहार दे

बार बार बीमार होने वाले बच्चों को विटामिन सी युक्त आहार दे

विटामिन-सी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। विटामिन सी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाया जाता है,जो हमारे शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिसके कारण बार बार होने वाली बीमारी जैसे सर्दी जुखाम से बचा जा सकता है।जो बच्चे बार बार बीमार होते हैं उनकी डाइट में विटामिन सी युक्त आहार जरूर शामिल करें। विटामिन सी की कमी से इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है। जिससे कोई भी संक्रमण या बीमारी जल्दी प्रभावित करती है। इन फल-सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर विटामिन सी की कमी को पूरा कर सकते हैं। नींबू ,संतरा, अमरूद, पपीता, अन्नानास, कीवी, टमाटर,ब्रोकली, आंवला, आलू आदि

बार बार बीमार होने वाले बच्चों को सर्दियों में शहद खिलाएं

बार बार बीमार होने वाले बच्चों को सर्दियों में शहद खिलाएं

शहद का सेवन करने से इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत किया जा सकता है। शहद में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। शहद के गुणों की बात करें तो यह पाचन को दुरूस्त रखता है, सिर दर्द, खांसी और थकान को मिटाता है। इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ ही आवाश्यक पोषक तत्व भी होते हैं। इतने गुणकारी शहद का सेवन बच्चों के लिए बेहद उपयोगी है। इससे बच्चे का इम्युनिटी पॉवर बढ़ती है। जिसके कारण बच्चे बार बार बीमार नहीं पड़ते।

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बार बार बीमार होने वाले बच्चों को एलर्जी वाली चीजों से दूर रखें

कभी कभी बच्चों को किसी चीज से एलर्जी होती है बच्चे को बार बार छिंके आना जुखाम होना एलर्जी हो सकती है। जिसके कारण बच्चे बार बार बीमार पड़ते हैं । ऐसे में आप डाक्टर से बच्चे कि जांच अवश्य करवाएं और पता लगने पर उन चीजों से परहेज़ करवाएं।

बार बार बीमार होने वाले बच्चों की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें

बच्चों की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें

बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए पेरेंट्स को साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वैसे भी बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है ऐसे में बच्चे जरा सी लापरवाही से भी बीमार हो जाते हैं। घर में कीटाणुरोधी दवा का पोचा लगवाए। किटाणु या सुक्ष्म जीव ज्यादा फैलने कि जगहों पर पेस्टिसाइड का छिड़काव करवाएं। बच्चे बाहर से आने पर उनके हाथ , मुंह अवश्य धोएं।

सीलन वाली चीजों को हटाएं

सीलन की वजह से फंगल इंफेक्शन होने का डर रहता है। वहीं सीलन के कारण अनेक तरह की बीमारियां फैलने लगती है। सीलन के कारण मुझे भी एलर्जी होने लगी है और मेरे 10 साल के बहन के लड़के को भी इसी कारण आंखों में खुजली व छिंक आने लगी है। जिसके कारण वह आए दिन खांसी जुखाम से ग्रस्ति रहता है इसलिए अगर आपके बच्चे बार बार बीमार पड़ते हैं तो ध्यान दें कि कहीं घर में सीलन तो नहीं है अगर सीलन है,तो उसे रोकने का प्रयास करें ताकि आपके बच्चों को बीमारियों से बचाया जा सके। सीलन अस्थमा का कारण भी बन सकता है।

डॉक्टर से सलाह लें

घरेलू उपचार व सावधानी से आप बच्चे को बीमार होने से बचा सकते हैं। लेकिन अगर आपके बच्चे पर यह उपचार काम नहीं कर रहे है तो आप ज्यादा समय ना लेते हुए बच्चे को तुरंत डॉक्टर से जांच करवाएं।

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