डिलीवरी के बाद मां को आराम के साथ साथ आहार का भी ध्यान रखना चाहिए। प्रसव/ डिलीवरी के बाद मां में बहुत अधिक कमजोरी आती है साथ में बच्चे को दूध भी पिलाना होता है इसलिए मां को उचित व सम्पूर्ण आहार लेना आवश्यक है क्योंकि प्रसव के बाद इस दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। उनकी मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं, कमर में हमेशा दर्द बना रह सकता है, यहां तक कि शारीरिक अंग भी कमजोर हो सकते हैं। इस दौरान अपनी डाइट में ऐसे हेल्पफुल फूड शामिल करें जो रिकवरी में मदद करें।तो चलिए आज हम आपको मां के आहार से जुड़ी जानकारी देते है ।
डिलीवरी के बाद मां को क्या खाना चाहिए
दलिया
प्रसव / डिलीवरी के बाद मां को दलिया खिलाना चाहिए ,इसमे हर तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। दलिया ब्रेस्टफीडिंग के लिए लाभकारी है। दलिया मां के दूध में कभी कमी नहीं होने देता इसे दूध में मिलाकर खाने से और भी अधिक पोषक तत्व मिलते है।
गोंद के लड्डू
गोंद के लड्डू मां के लिए एक औषधि के रूप में काम करते है। इन लड्डुओं को खाने से प्रसव/ डिलीवरी के बाद आई कमजोरी तो दुर होती है साथ में हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इससे मां का दूध बढ़ने लगता है गोंद के लड्डू खाने से बच्चे को भी पोषक तत्व मिलते है । अक्सर महिलाओं को प्रसव के बाद कब्ज कि शिकायत हो जाती है जिससे महिलाओं में बावाशिर कि शिकायत हो सकती है गोंद के लड्डू से इस समस्या से निजात पाया जा सकता है ।
Note- मां जब गोंद के लड्डू खाती है तब बच्चा ब्रेस्टफीडिंग करता है तो कुछ बच्चों को दुध आसानी से नहीं पचता। क्योंकि गोंद के लड्डू पोषक तत्व में भारी होते हैं इसलिए चिंता न करें बच्चे अधिक बार पोटी जा सकते हैं।
अजवाइन के लड्डू
अजवाइन अपने आप में एक औषधि है सभी जगह इसका प्रयोग मसालों के रूप में किया जाता है लेकिन इसे घि में भुनकर लड्डू बनाएं जाते है जो खाने में स्वादिष्ट के साथ साथ पोष्टिक भी होते हैं अथवा इसे खाने से मां का खून साफ होता है और प्रसव के बाद पेट की नाड़ियों में आया सूजन कम हो जाता है । अजवाइन के लड्डू खाने से खून तो साफ होता ही है साथ में रक्त संचार अच्छा होता है इससे मां के पेट में गैस नहीं बनती साथ में दूध की क्वालिटी अच्छी होती है जिससे बच्चे के पेट में गैस नहीं बनती।
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ड्राई फ्रूट्स
ड्राई फ्रूट में बहुत से पोषक तत्व होते हैं इसमें कार्बोहाइड्रेट ,फाइबर ,विटामिन ,खनिज और भी अन्य विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं नट्स को आप सुबह भिगोकर खा सकती हैं। इससे भी आपको ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ई, कैल्शियम, सेलेनियम, कॉपर, मैग्नीशियम और राइबोफ्लेविन भरपूर मात्रा में मिलते हैं ,ड्राई फ्रूट को गोंद के लड्डू में डालकर या स्नेक्स के रूप में भी लिया जा सकता है । डिलीवरी के बाद शरीर में आई हुई कमी को पूरा करने के लिए मां को इन स्नेक को दिया जाना चाहिए। इससे शरीर की कमजोरी दूर होने के साथ-साथ बच्चे को भी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
दूध
डिलीवरी के बाद मां को दिन पांच से छह बार दूध पीना चाहिए जिससे बच्चे को भी पूर्ण दूध मिल सके । अगर दूध नहीं आता तो इसके लिए सफेद जीरा पीसकर उसे एक चम्मच दूध के साथ सुबह-शाम लें इससे दूध बढ़ेगा ।
सौंफ
सौंफ को खाने से पाचन में सुधार आता है साथ में जो भी चीजें खाई होती है उसका पाचन सही से होता है ,डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाओं को कब्ज की शिकायत रहती है सौंफ खाने से पाचन शक्ति सही रहती है और कब्ज की शिकायत दूर होती है । सोंफ से मां के दूध बनने की क्षमता बढ़ती है ,सौंफ पेट में गैस बनने से रोकती है तथा पेट की नाड़ियों में आई सूजन को कम करती है ।
हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियों में बहुत अधिक खनिज पदार्थ पाया जाता है हरी सब्जियों में विटामिन-ए, विटामिन-सी और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा इनमें कम कैलोरी पाई जाती हैं, जो प्रेगनेंसी के बाद के बढ़े हुए वजन को कम करने में मदद करती हैं।,ब्रोकली ,पालक जैसी सब्जियों में कैल्शियम और आयरन बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है । डिलीवरी के बाद मां में खून की कमी न हो इसलिए उसे हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
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फलों का सेवन
फलों का सेवन भी डिलीवरी के बाद बहुत जरूरी है क्योंकि फलों के सेवन से आपको दर्द कम करने और इम्यून सिस्टम मजबूत करने में मदद मिलती है। फलों से आपको ज्यादातर जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं, जैसे- विटामिन, कार्ब्स , मिनरल्स, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और फाइबर आदि। फलों का सेवन बच्चे के लिए भी काफी अच्छा हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि ज्यादा खट्टे फलों का सेवन करने से बच्चे को दस्त हो सकते हैं। इसलिए खट्टे फलों का सेवन कम करें।
अंडा
अंडे में बहुत अधिक प्रोटीन पाया जाता है ,डिलीवरी के बाद मां को प्रोटीन की सबसे अधिक जरूरत होती है इससे शरीर में ताकत मिलती है साथ में विटामिन डी की कमी भी पूरी होती है ,प्रोटीन टांको के घाव को जल्दी से रिकवर करता है ,साथ में मांसपेशियों को बनाता है। इसलिए नॉनवेज खाने वाली महिलाएं अंडे का सेवन कर सकती है ।
चिकन और मछली
अगर आपको नॉनवेज खाना पसंद है, तो आप अपने आहार में लीन मिट, मछली और अंडे को शामिल कर सकते हैं। इनमें आयरन, प्रोटीन, विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो आपको अंदर से एनर्जी प्रदान करते हैं। इसके अलावा अंडे में प्रोटीन पाया जाता है, जो शरीर के विकास के लिए बेहद जरूरी है।
डिलीवरी के बाद क्या नहीं खाना चाहिए
प्रसव/ डिलीवरी के बाद कुछ चीजें ऐसी होती है जिसे मां को नहीं खानी चाहिए इससे मां को बहुत अधिक परेशानियां हो सकती है। साथ में बच्चा भी हो सकता है बीमार। प्रसव/ डिलीवरी के समय मां का शरीर बहुत ही अधिक कमजोर होता है। इसलिए उन्हें अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिएं। जिस तरह प्रेगनेंसी में कई चीजों से परहेज करने की जरूरत होती है, उसी तरह डिलीवरी के बाद भी कुछ चीजों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। नीचे हम बता रहे हैं कि डिलीवरी के बाद क्या नहीं खाना चाहिए :
गरम मसालेदार चीजें
प्रसव/ डिलीवरी के बाद से 3 महीने तक मां को ज्यादा मसालेदार चीजें नहीं खानी चाहिए ,सब्जियों में लाल मिर्च की जगह काली मिर्च का इस्तेमाल करें ,अगर महिला कि डिलीवरी सिजेरियन द्वारा हुई है तो मसालेदार चीजों से उनके टांको पर खुजली व जलन हो सकती है।
खट्टी चिजो से करें प्रहेज
प्रसव/ डिलीवरी के बाद खट्टे फल नहीं खाने चाहिए साथ में जिन चीजों में खटास हो या खटाई वाली चीजें नहीं खानी चाहिए ,ज्यादा खट्टी चीज खाने से बच्चे को दस्त लग सकते हैं इसलिए खट्टी चीजों से परहेज करें।
फास्ट फूड से करें परहेज
जंक फूड जैसे बर्गर, पिज्जा या अन्य बाहरी चीजों से पूरी तरह परहेज करें। ये फूड बहुत देर से पचते है। साथ में ये फूड मैदे व मसालों से बने होते हैं ,जो मां के पेट को तो खराब करते ही हैं साथ में बच्चे के पेट को भी खराब करते हैं।
बाय बादी व गैस वाली चीजें न खाएं
जिन खाद्य पदार्थों से गैस, एसिडिटी व खट्टी डकार जैसी समस्याएं हों, उनसे दूर रहें। इस दौरान चने, उड़द और अरहर की दाल से परहेज करें ,इनसे शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है ,इससे बच्चे के पेट में गैस बन सकती है। और दस्त भी लग सकते हैं।
कैफीन, एल्कोहल व निकोटिन न लें
अपनी डाइट से कैफीन व एल्कोहल पूरी तरह से हटा दें। अगर आपको लगता है कि प्रेगनेंसी खत्म हो गई है और अब इनका सेवन किया जा सकता है, तो आप गलत सोच रही हैं। जब तक आपका शिशु आपका दूध पिएगा, आपके खानपान का सीधा असर आपके शिशु पर पड़ता है।
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